
अगर आप
- allopathic या आयुर्वेद पर विश्वास करते हैं
- कृषि विज्ञान को विज्ञान मानते हैं
- सभी प्राणियों पर सूर्य और चन्द्रमा के प्रभाव को मानते हैं
- १ वर्ष में ३६५ दिन, १२ महीने और एक सप्ताह में ७ दिन को मानते हैं
- तिथि त्यौहार अमावस्या पूरनमासी तिथियों को मानते हैं
तब तो आपको ज्योतिष पर भी विश्वास करना ही होगा, भारतीय ज्योतिष बहुत उन्नत विज्ञान है बल्कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की बिना ज्योतिष शास्त्र के संसार के कोई भी कार्य संभव नहीं हैं !
ज्योतिष विज्ञान पर अविश्वास के कारण हैं
१. अधिकतर भविष्यवाणियों का सत्य नहीं होना
२. ढोंगी और दम्भी लोगों का ज्योतिष भेस बनाकर ठगी करना
३. अज्ञान की ज्योतिष विद्या भविष्य बताने का ही विज्ञान है
जैसे एक बड़े स्पेशलिस्ट चिकित्सक के इलाज से आपकी बिमारी ठीक होने के ज्यादा सम्भावना होती है … लेकिन आवश्यक नहीं की ठीक हो ही जाये, वैसे ही एक जानकार ज्योतिषाचार्य की बताई हुई भविष्यवाणी और उपाय सही हो जाये उसकी ज्यादा सम्भावना होती है लेकिन जैसे कभी कभी चिकित्सक जिस पर आप विश्वास करते हैं वह आपकी बीमारी नहीं ठीक कर पाता वैसे ही ज्योतिष पर भी लागू होता है ।
भविष्य के बारे में बताना और बुरे प्रारब्ध के निवारण के लिए उपाय बताना ज्योतिष विज्ञान का सिर्फ एक पहलू है, और चूकि अधिकतर लोग भविष्य जानने के लिए ही उत्सुक होते हैं या कोई सांसारिक दुःख परेशानी का निवारण हो जाये इसलिए ज्योतिष का सहारा लेते हैं इसलिए असफल होने पर उन्हें ज्योतिष शास्त्र पर अविश्वास हो जाता है
कोई अमीर कोई गरीब , कोई विद्वान् कोई अनपढ़, कोई दुखी कोई खुश ज्योतिष-विज्ञान गृह दशा के अनुसार कुंडली के अनुसार इन सभी विषयों के सटीक कारण बता सकता है और जन्म के समय ही कुंडली के अनुसार बहुत सी भविष्य में होने वाली घटनाओं और रोग आदि की सही-सही भविष्यवाणी भी कर सकता है , ज्योतिष विज्ञान प्रारब्ध के बारे में सूचित करता है और अगर हम किसी विधि से बुरे प्रारब्ध को कम कर सकें उसके उपाय बताता है जैसे पूजन अनुष्ठान, रत्न आदि और औषधि सेवन ।
किस मुहूर्त में विवाह कराएं, गृह निर्माण कराएं, किस तरह के व्यापार में आपकी उन्नति होगी किस तरह के व्यवसाय में आपको अशुभ होने की सम्भावना है … यह भी ज्योतिष का विषय है ।
मनुष्य के समस्त कार्य भारतीय ज्योतिष के द्वारा ही चलते हैं 2
व्यवहार के लिए अत्यन्त, उपयोगी दिन, सप्ताह के दिन, पक्ष, मास, ऋतु, वर्ष, मुहूर्त एवं तिथि त्यौहार आदि का परिज्ञान, ज्योतिष शास्त्र से होता है । बिना ज्योतिष के ज्ञान के हम कैसे धार्मिक उत्सव, सामाजिक त्यौहार, महापुरुषों के जन्मदिन, अपनी प्राचीन गौरव गाथा का इतिहास आदि के बारे में ठीक-ठीक पता कर सकेंगे और न कोई उचित कृत्य ही यथासमय सम्पन्न किया जा सकेगा.
वेदों में ज्योतिष के अंतर्गत विस्तृत खगोल शास्त्र के ज्ञान से ही सारे विश्व के क्रिया कल्प और व्यापार चल रहा है। इसका अर्थ यह है की, विश्वके सभी देशों में दिन (वार), सप्ताह, महीना, साल, ऋतुयें और पूरा calendar वैदिक संस्कृति की ही देन है।
Calendar शब्द भी संस्कृत शब्द “कालांतर” से आया है, कालांतर का अर्थ है एक काल (समय) से दूसरे समय पे जाने का अंतर (एकsecond से दूसरे second, एक minute से दूसरे minute, एक घंटे से दूसरे घंटे, एक दिन से अगले दिन, माह से अगले माह इत्यादि)
वेदों का खगौलिक ज्ञान भारतवासियों से अरबी निवासियों ने सीखा उनके द्वारा यह ज्ञान युरोपीयन देशों में पहुँचा, लेकिन इन सभी देशोंकी बोल चाल भाषाओं में संस्कृत भाषा के स्पष्ट उच्चारण की योग्यता नहीं थी, कुछ तो शब्द उनकी वर्णमाला में ही नहीं थे और इसीकारण से कालांतर से calendar नाम पड़ गया।
जो विदेशी calendar हम आज कल उपयोग में लाते है वह अनेकों परिवर्तनों और बदलावों से गुज़र चुका है पर उसका मूल स्रोत वैदिक खगोल ज्ञान ही है। भारतीय ऋषियों का खगोल विज्ञान सम्पूर्ण है अर्थात उन्होंने चंद्रमा की पृथ्वी की परिक्रमा की गति , पृथ्वी की सूर्य परिक्रमा गति, सौर्यमंडल के अन्य ग्रह, राशि नक्षत्रों की गणित आदि की परस्पर निर्भरता को सम्मिलित कर कालांतर या पंचांग की रचना की।
इस अथाह ज्ञान को समझना विदेशी सभ्यताओं के लिए बहुत कठिन था इसलिए अलग अलग देशों के calendar अपूर्ण है। किसी ने सूर्य, किसी ने चंद्रमा तो किसी ने नक्षत्रों के आधार पर ही अपने calendar बना कर प्रचलित किए ।
कृषि विज्ञान भी ज्योतिष विज्ञान से गहरा संबंध
भारतीय कृषक जिन्होंने आज कल की परंपरा अनुसार अंग्रेजी विद्यालयों में शिक्षा नहीं प्राप्त की वो भी व्यवहारोपयोगी ज्योतिष ज्ञान से परिचित है ।
भारतीय कृषक जानता है की किस तिथि – नक्षत्र में वर्षा अच्छी होती है, किस ऋतू में कौन से बीज बोने चाहिए, किस तरह की जलवायु और जमीन में कौन सा पेड़ पौधा सब्जि आदि अच्छा फल देते हैं ।
रोग निवारण और आयुर्वेद से भी ज्योतिष विज्ञान के अभिन्न सम्बन्ध 1
ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत व्यक्ति की कुंडली के अनुसार उसको क्या रोग हैं या होने की संभावना है गृह स्तिथि के अनुसार ये सब सही-सही बताया जाता है, रोगो का उपचार कैसे हो उसके लिए सटीक उपाय भी बताये जाते हैं जिनमे रत्न, पूजन अनुष्ठान इत्यादि के अलावा आयुर्वेदिक औषधियां भी बताई जाती हैं I
औषधीय जड़ी बुटिया आदि ऋतू आदि के विचार कर समय से चुनी जाये तो उनमे औषधीय गुणवत्ता अधिक होती है
ज्योतिष विज्ञान की उपयोगिता और भी बहुत सारे भौतिक कार्यों में होती होती है उदाहरणार्थ :
– नेविगेशन समुद्र अथवा रेगिस्तान में दिशा आदि के ज्ञान के लिए
– पहाड़ों की ऊंचाई और नदी समुद्र की गहराई आदि नापने के लिए जिस रेखा गणित का उपयोग होता है वह विज्ञान ज्योतिष के अंतर्गत आता है
– गृह -भवन निर्माण – वास्तु शास्त्र बहुत विस्तृत विज्ञान है जो ज्योतिष विज्ञान की ही देन है, इसका इतना महत्व है की आर्किटेक्ट कोर्सेज में वास्तु भी पढ़ाया जाता है ।
Ref: 1. https://ayushdhara.in/index.php/ayushdhara/article/view/1007/799, access date 1 july 2025.
2. book भारतीय ज्योतिष by Dr Nemichandra shastri